BHUPENDR KUMAR
Wednesday, 1 July 2020
Bhupendra01bahafur
Bhupendra Bahadur
तारों में अकेला चाँद जगमगाता है
मुश्किलों में अकेला इंसान
डगमगाता है
काटों से घबराना मत मेरे दोस्त
क्योंकि काटों में ही अकेला गुलाब
मुस्कुराता है
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