Monday, 13 February 2017

BHUPENDRA KUMAR






कोई नही देगा साथ तेरा यहॉं
  हर कोई यहॉं खुद ही में मशगुल है
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 जिंदगी का बस एक ही ऊसुल है यहॉं,
         तुझे गिरना भी खुद है
       और सम्हलना भी खुद है..,
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तू छोड़ दे कोशिशें..
        इन्सानों को पहचानने की...!
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यहाँ जरुरतों के हिसाब से ..
            सब बदलते नकाब हैं...!
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अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर.
                 हर शख़्स कहता है-
    " ज़माना बड़ा ख़राब है...!!!


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