Saturday, 25 February 2017
Monday, 13 February 2017
BHUPENDRA KUMAR
कोई नही देगा साथ तेरा यहॉं
हर कोई यहॉं खुद ही में मशगुल है
.
जिंदगी का बस एक ही ऊसुल है यहॉं,
तुझे गिरना भी खुद है
और सम्हलना भी खुद है..,
.
तू छोड़ दे कोशिशें..
इन्सानों को पहचानने की...!
.
यहाँ जरुरतों के हिसाब से ..
सब बदलते नकाब हैं...!
.
अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर.
हर शख़्स कहता है-
" ज़माना बड़ा ख़राब है...!!!
Thursday, 9 February 2017
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